पूरा इंटरव्यू देखने के लिए यहां क्लिक करें: http://bit.ly/NLInterviewPankajTripathi<br /><br />मशहूर फिल्म अभिनेता #PankajTripathi से जब भी कोई बातचीत शुरू होती है उसमें किसी ना किसी बहाने से गांव शामिल होता है. पंकज खुद गांव की बात बेहद चाव से बताते हैं. ऐसे में हमने पंकज से जाने की कोशिश की कि गांव उनके लिए क्या है?<br /><br />इस सवाल के जवाब में वे बताते हैं, ‘‘गांव मेरे लिए क्या है और क्यों जरूरी है, यह कठिन सवाल है. गांव कभी-कभी मेरे लिए रूट (जड़) लगता है, कभी-कभी रोमांटिसिजम लगता है, कभी-कभी मेरे डीएनए- आरएनए में मिला हुआ लगता है. मेरे घर के पीछे एक नदी बहती है, जो गांव में तो सूखने लगी है, लेकिन मेरे भीतर बहती रहती है. मैं गांव में 17-18 साल रहा हूं. मेरी जन्मभूमि है. दरअसल आप कुछ नहीं होते अपनी स्मृतियों का बोझ लेकर घूमते-फिरते टापू होते हैं.’’<br /><br />#Media को लेकर जब हमने पंकज त्रिपाठी से सवाल किया तो वे #CriminalJustice के अपने किरदार द्वारा बोला एक डायलॉग याद करते हैं, ‘‘ब्रेकिंग न्यूज़-ब्रेकिंग न्यूज़ बोलकर ये लोग समाज को ही ब्रेक कर रहे हैं.’’<br /><br />त्रिपाठी आगे कहते हैं, ‘‘मुझे याद है कि हम छोटे थे तो रेडियो पर प्रादेशिक समाचार दिन में तीन बार आता था. जब दूरदर्शन आया तो शाम को एकबार समाचार आता था. अब 24 घंटे के समाचार में क्या करोगे, वहीं न मैदा में चंपई रंग डालकर, दिन भर उसे मिलाते रहेंगे. दूसरी बात मीडिया भी एक व्यवसाय है. टीआरपी का खेल है. विज्ञापन आना है. आप समाचार बेच रहे हैं और जो विज्ञापन दे रहा है वो साबुन तेल बेच रहा है. मैं भी कुछ बेच रहा हूं. हर तरफ बाजार की स्थिति बनी हुई है. जब बाजार की स्थिति बनती हो तो नफा-नुकसान ज्यादा मायने रखता है सही और गलत के सामने.’’<br /><br />Subscribe to Newslaundry: https://www.newslaundry.com/subscription?ref=social<br /><br />Follow and engage with us on social media:<br />Facebook: https://www.facebook.com/NewslaundryHindi<br />Twitter: https://twitter.com/nlhindi<br />Instagram: https://www.instagram.com/newslaundryhindi/